जौनपुर। जिले में शब-ए-बारात का पर्व हर्षोल्लास के मनाया गया । इस मौके पर मस्जिदों और कब्रिस्तानों में सजावट की गयी और मजारों परचिराग जलाकर उनकी मगफिरत की दुआंए मांगी। कहा जाता है कि शब-ए-बारात में इबादत करने वाले लोगों के सारे गुनाह माफ हो जाते हैं। इसलिए लोग शब-ए-बारात में अल्लाह की इबादत करते हैं और उनसे अपने गुनाहों को माफ करने की दुआ मांगते हैं। मान्यता के अनुसार शब-ए-बारात को एक प्रकार से रमजान में रखे जाने वाले रोजे के लिए खुद को तैयार करना माना जाता है। यह भी मान्यता है कि इस रात लोग अल्लाह की इबादत करते हैं और अल्लाह से अपने गुनाहों की तौबा करते हैं। यहां शब से आशय रात है और बारात (बअरात) का अर्थ बरी होना है। हिजरी कैलेंडर के अनुसार, यह रात साल में एकबार शाबान महीने की 14 तारीख को सूर्यास्त के बाद शुरु होती है। ज्ञात हो कि मुस्लिम मजहब के लोग इस पर्व को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। बकायदा इसकी तैयारियां की जाती हैं। घरों में तमाम प्रकार के पकवान जैसे हलवा, बिरयानी, कोरमा आदि बनाया जाता है। इबादत के बाद इसे गरीबों में बांटा जाता है। शब-ए-बारात में मस्जिदों और कब्रिस्तानों में खास तरह की सजावट की जाती है। लाइट्स लगाई जाती हैं। वहीं बुजुर्गों व अपने करीबियों की कब्रों पर चिराग जलाएं जाते हैं और उनकी मगफिरत की दुआंए मांगी जाती
शबेबरात पर दुआए मांगी